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लेखनी प्रतियोगिता -17-Jan-2022 मीरा मैडम

जैसे ही इंटरवैल की घंटी बजी सब बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं से निकल कर चौक में आ गये थे । अध्यापक / अध्यापिकाएं भी अपनी क्लास छोड़कर स्टाफ रूम में आ गये । सबके अपने अपने लंच बॉक्स खुल गये और फिर दौर चला लंचदं के लेन देन का । सब आपस में एक दूसरे की सब्जियां , पूरी , परांठे, सैंडविच आदि शेयर कर रहे थे । लंच में माहौल बहुत मधुर हो जाता है । एक तो चटपटे भोजन की सुगंध और दूसरे लंच से भी ज्यादा चटपटी बातें । सोने पे सुहागा वाली बात हो जाती है । जितना मजा दूसरे का खाना चखने में आता है उससे कहीं अधिक आनंद इधर उधर की रसीली बातों में आता है । प्रधानाचार्य/ प्रधानाचार्या के किस्सों की तो बात ही मत पूछो । सब शिक्षकों के निशाने पर वे ही होते हैं । 
इस गहमागहमी से दूर एक कोने में मीरा बैठी हुई थी । आज अपना लंच बॉक्स लाई नहीं थी । लाती भी कैसे ? बनाती तो लाती । आज नींद ही देर से खुली तो इसमें उसका क्या दोष ? दोष तो नींद का था , खुली क्यों नहीं ? ऐसा नहीं है कि अलार्म नहीं लगाया था ? वो तो हमेशा ही लगाकर सोती हैं मैडम । अलार्म तो सही समय पर बज जाता है मगर नींद में वह कब बंद हो जाता है , पता ही नहीं चलता है । जब आंख खुलती है तो बहुत देर हो जाती है ।  बड़ी मुश्किल से वह खुद तैयार होकर आ गयी , ये क्या कम बात है ?  रात को पति सौरभ से किसी बात पर झगड़ा हो गया था । झगड़े का भी कोई कारण होता है क्या पति पत्नी के बीच ? एक ढूंढो सैकड़ों मिल जाते हैं ।  लड़ाई भी इतनी भयानक हुई जिसका परिणाम यह निकला कि मीरा वहां से उठकर दूसरे कमरे में जाकर सो गई । उसने क्या गलत मांग की थी ? एक सैट ही तो मांगा था डायमंड का ? पति से नहीं मांगेगी तो क्या पड़ोसी से मांगेगी ? पत्थर दिल पति ने मना कर दिया । सारे मर्द एक जैसे होते हैं, पत्थर दिल । वह क्या करती , उठकर बगल के कमरे में आकर सो गयी । अकेले सोने की आदत नहीं थी इसलिए देर रात तक नींद ही नहीं आई । पता नहीं कैसे कैसे खयाल मन में आ रहे थे । डब्बू को भी अपने पास नहीं सुलाया था उसने । एक दिन तो संभालने दे इनको । सब नानी याद आ जायेगी । यह सोचते सोचते तीन बज गये थे सुबह के । तब जाकर नींद आई थी उसे । 
सुबह नींद देर से खुली तो वह फटाफट तैयार होने लगी । डब्बू को जगाकर तैयार भी करना था । सौरभ अखबार पढने में मस्त था । सौरभ को अखबार पढ़ते देखकर  अचानक उसे खयाल आया कि "वह आज डब्बू को भी तैयार नहीं करेगी । आज इसे ये ही तैयार करेंगे । सारा काम मेरी ही जिम्मेदारी थोड़े ही है । जब दोनों नौकरी कर रहे हैं तो काम भी दोनों को मिलकर करना चाहिए ना । एक दिन घर का काम करेंगे तो हेकड़ी निकल जायेगी साहब की । दिन भर करते ही क्या हैं, बस अखबार पढते रहते हैं , हां नही तो" ।  गुस्से में उसने अपना लंच बॉक्स तक तैयार नहीं किया । नाश्ता भी नहीं किया और वैसे ही स्कूल आ गई । भूखी की भूखी । 
" मैडम , आप भी आ जाओ , थोड़ा सा लंच ले लो " गुप्ता मैडम ने बड़ी आत्मीयता से उसे पुकारा ।" नहीं । आज तो मेरा व्रत है "" अरे , आज कौन सा व्रत है ? आज तो एकादशी भी नहीं है " मुस्कुराती हुई प्रेरणा मैडम ने कहा" क्या व्रत केवल एकादशी का ही होता है मैडम ? " मीरा मैडम की आवाज वज्र से भी ज्यादा खतरनाक थी । 
प्रेरणा मैडम एकदम से सहम गई । उसे लगा कि उसने बीच में बोलकर कुछ अपराध कर दिया है । सब लोगों का हाथ वहीं का वहीं रुक गया । स्टाफ रूम में एकदम सन्नाटा सा छा गया ।विमला मैडम विषय बदल कर खामोशी भंग करते हुए बोली , " शांति मैडम , आज आपकी भिंडी बहुत जायकेदार बनी हैं । कैसे बनाई आपने " ?
एक बार अगर किसी के खाने की प्रशंसा हो जाये तो वह मैडम फूल कर कुप्पा हो जाती है । शांति मैडम ने भी विजयी भाव से सबको देखा और अपनी पाक कला का बखान करने लगीं ।
इतने में शांति बाई चाय लेकर आ गई । सबको चाय देने लगी।" मैडम जीं , आज तो अपने स्कूल में एक नये बाबू आये हैं " शांति बाई ने दूरदर्शन की तरह समाचार सुनाते हुए कहा । स्कूल में वह सहायक कर्मचारी होने के साथ साथ संवाददाता का काम भी करती थी । इस समाचार ने सभी शिक्षकों को खुश कर दिया । अब सब लोग अपने भोजन की तारीफ करना छोड़ कर नये बाबू पर केन्द्रित हो गये । कैसे हैं ? कहां से आये हैं ? आदि आदि प्रश्न दाग दिये शांति बाई पर ।" वो मुझे नहीं पता , मैडम । बस अभी अभी आकर ज्वाइन किया ही है ।उनको चाय देकर आ ही रही हूं ""अरे, तो उन्हें इधर ही बुला लो । थोड़ा सा लंच भी ले लेंगे "  विमला मैडम ने कहा" अब तो बचा ही क्या है मैडम ? " आरती मैडम प्रतिवाद करते हुए बोली ।" कोई बात नहीं । परिचय तो हो जायेगा ना  सबसे " विमला मैडम ने अपनी बात पुरजोर तरीके से रखी । सबने इस पर मूक सहमति व्यक्त कर दी ।
थोड़ी देर में सागर बाबूजी भी अपना चाय का कप लिए हुए वहीं आ गये । 27-28 साल का कसरती बदन वाला औसत दर्जे का एक युवक था सागर शुक्ला । पिताजी जिला शिक्षा अधिकारी पद पर थे । खूब नाम था उनका शिक्षक बिरादरी में । हंसमुख व मिलनसार थे शुक्ला जी । व्याख्याता के पद से नौकरी की शुरुआत की थी । काफी अरसे तक प्रधानाचार्य रहे और बाद में पदोन्नत होकर जिला शिक्षा अधिकारी बन गये । उनकी पत्नी बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की हैं । दो पुत्रियां हैं । बड़ी काॅलेज में प्रोफेसर और छोटी स्कूल में टीचर है । दोनों की शादी हो गई । सागर सबसे छोटा है । दो बेटियों के बाद पैदा हुआ । मां ने ने जाने कितने व्रत , त्यौहार , हवन किये तब जाकर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी । मां का लाड़ला था । मजाल है जो कोई उसे कुछ कह दे । शुक्लाइन कहने वाले की ऐसी खबर लेती थीं कि उस आदमी की सात पुश्तें भी याद कर लें  । मां के लाड़ प्यार ने उसे पढ़ने लिखने नहीं दिया । दो बेटियों के बाद पैदा होने वाला बेटा पैदाइशी "महाराज" होता है । सागर को भी महाराज उसकी मां ने बना दिया था । 
सागर जब जवान होने लगा तो अपनी मित्र मंडली के साथ मौज-मस्ती करने लगा । एक अच्छी बात उसमें यह थी कि उसे जिम का ऐसा चस्का लगा कि उसने चाहे पढ़ाई लिखाई नहीं की लेकिन जिम जाना नहीं छोड़ा । डोले शोले ठीक बन गये थे उसके । कसरती बदन लगने लगा था उसका ।इस तरह दिन गुजर ही रहे थे कि एक दिन शुक्ला जी को सुबह सुबह दिल का दौरा पड़ गया । घर में और कोई नहीं था। सागर जिम गया था और दोनों बेटियां अपनी अपनी ससुराल में  थीं । शुक्लाइन ने बहुत फोन लगाया था सागर को पर वह तो जिम में मस्त था । साइलेंट मोड़ पर था फोन । दोनों बेटियों को फोन किया तो वे दौड़ी दौड़ी आईं । बेटियां चाहे सास ससुर को कुछ भी ना मानें लेकिन मां बाप को तो भगवान की तरह मानती हैं । इतने में सागर को भी पता चला तो वह भी दौड़ पड़ा । अस्पताल ले जाते ले जाते रास्ते में ही शुक्ला जी ने दम तोड़ दिया । सागर ने केवल‌ सीनियर तक पढ़ाई की थी इसलिए अनुकंपा नियुक्ति के तहत उसे कनिष्ठ लिपिक की नौकरी मिल गई । 
शुक्ला जी की मौत सागर के लिए वरदान बन गई । वैसे तो कोई उसे दो कौड़ी की भी नौकरी देने को तैयार नहीं होता मगर सरकार में अनुकंपा के तहत ऐरे गैरों को भी नौकरी मिल जाती है । नौकरी लगते ही शुक्लाइन ने उसका विवाह कर दिया । पिछले साल ही उसके एक बेटा हुआ है । जिस स्कूल में वह नौकरी कर रहा था उस स्कूल में मंत्री जी का कोई रिश्तेदार आ गया था । कहते हैं कि वह रिश्तेदार पहले जिस स्कूल में बाबू था वह स्कूल उसके घर से केवल 1किमी दूर था । ये स्कूल बिल्कुल पास में ही था । बस, 100 मीटर दूर । पैदल चल कर स्कूल आया जा सकता था । वैसे तो मंत्री जी ने एक बार उसको समझाया भी था कि एक किलोमीटर दूर हो या पांच किलोमीटर , उससे क्या फर्क पड़ता है । प्रधानाध्यापक उसके पास खुद आयेगा काम करवाने । लेकिन वो बंदा पक्का देशभक्त था । उसने प्रतिवाद करते हुए कहा कि प्रधानाध्यापक को पांच किलोमीटर आना जाना पड़ेगा तो इससे कितना नुक्सान होगा देश के समय , श्रम और पैट्रोल का । इसलिए अच्छा है कि उसका स्थानांतरण इस स्कूल में कर दिया जाये । उसकी इस महान बात ने मंत्री जी को उसका कायल बना दिया और उन्होंने उसका स्थानान्तरण उस स्कूल में कर दिया । इसलिए सागर को उस स्कूल से जाना पड़ा था । सागर का घर अब इस स्कूल से 15 किलोमीटर दूर हो गया, पर इसकी परवाह मंत्री जी को क्यों होने लगी ? आखिर अपने साले को इतना सा भी.फायदा नहीं पहुंचाया तो फिर काहे के लिए मंत्री बने थे वे । फिर सागर पर इतना अहसान तो कर दिया कि उसे जयपुर से बाहर तो नहीं फेंका ? अडर फेंक देते तो कोई क्या बिगाड़ लेता उनका ?  जो लोग जयपुर से 80 किलोमीटर दूर नौकरी कर रहे हैं और रोजाना अप डाउन कर रहे हैं , कोई उनसे पूछे कि नौकरी क्या होती है ?
साढर का सबसे परिचय होने लगा । मीरा मैडम ने भी अपना परिचय दिया । उसके पति पंजाब नेशनल बैंक में बाबू थे । एक बेटा है डब्बू जो सात आठ साल का है । मीरा मैडम सामाजिक विज्ञान की वरिष्ठ अध्यापिका हैं । सबका परिचय हुआ ही था कि  इंटरवैल समाप्त होने की घंटी बजी और सब लोग अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। सागर भी अपने कक्ष में चला गया ।
दिन बीतते रहे और स्कूल भी नियमानुसार चलता रहा । एक दिन विमला मैडम परेशान होकर प्रधानाध्यापक लल्लू लाल शर्मा के पास आईं और कहने लगीं" सर, मेरे पास आपने दो दो चार्ज दे रखे हैं । एक तो परीक्षा प्रभारी और दूसरा मिड डे मील का । थक जाती हूं इतना काम करते करते । उस पर मेरी गणित की कक्षाएं । एक चार्ज मीरा मैडम को दे दो ना आप "" अरे मैडम , आत्महत्या थोड़ी करनी है मुझे "विमला मैडम एकदम से चौंकी । आश्चर्य से शर्मा जी को देखने लगीं ।" इतने आश्चर्य से देखने की जरूरत नहीं है मैडम । मैं सही कह रहा हूं । मीरा मैडम से कुछ भी कहना ऐसा ही है जैसे ' आ बैल मुझे मार ' । आप जानती नहीं हैं क्या उनको । आप तो यहां पर पिछले दस बारह सालों से हैं और वो मीरा मैडम भी कम से कम तीन सालों से हैं । आप तो भली भांति जानती हो उनको । करेला और नीम चढ़ा । आपने यह कहावत नहीं सुनी है क्या ? मैं धारा 3 और धारा 376 का मुकदमा झेलने की स्थिति में नहीं हूं अभी । हां , अगर आप उनको एक चार्ज लेने के लिए मना लो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है " विमला मैडम के पाले में गेंद डालकर लल्लूलाल शर्मा जी हल्के हो गये थे ।
"सर, ये धारा 3 और 376 क्या हैं" ? 
"मैडम , मीरा जी अजा की हैं और बात बात पर अजा अजजा अधिनियम की धारा 3 के अन्तर्गत मुकदमा दायर करने की धमकी देती ही रहती हैं । इसके अलावा वे महिला हैं और धारा 376 के तहत वे पहले भी एक दो प्रधानाचार्य को फंसा चुकी हैं । इस उम्र में मेरी जेल जाने की कतई इच्छा नहीं है, मैडम" ।
विमला मैडम की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो बिल्ली के गले में घंटी बांधे । अतः चुपचाप वहां से उठकर आ गई ।
दिन ऐसे ही गुजरने लगे । मीरा मैडम का वक्त आजकल सागर के कक्ष में ज्यादा गुजरने लगा । पहले तो सब लोग इंटरवैल में लंच साथ साथ करते थे लेकिन कुछ दिनों से मीरा मैडम अपना लंच सागर के कक्ष में करने लगीं थी ।
एक दिन विमला मैडम की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी । वह अपनी क्लास जल्दी खत्म करके स्टाफ रूम में आ गई । वहां पर मीरा मैडम पहले से ही बैठी हुईं थीं । बातों ही बातों में उन्होंने पूछ लिया कि आजकल इंटरवैल में लंच नहीं लेती हो क्या ?" मैडम , लंच तो लेती हूं मगर सागर के रूम में ही ले लेती हूं "" सब टीचर्स के साथ लंच करना अच्छा नहीं लगता है क्या "" नहीं । ऐसी बात नहीं है मैडम । सागर कहते हैं कि उन्हें स्टाफ रूम में सीलन की बदबू आती है । बस इसीलिए "" हमें तो इतने साल हो गये यहां पर, आज तक तो कभी बदबू नहीं आई । तुमको भी तो तीन साल हो गए हैं इस स्कूल में । तुमको भी तो पहले कभी बदबू नहीं आती थी । अब क्या हो गया है " ? " मैडम , बदबू मुझे नहीं सागर को आती है "। मीरा मैडम ने चिढ़कर कहा ।" तो सागर को आने दो बदबू , उससे तुम्हें क्या ? तुम तो स्टाफ के साथ लंच ले सकती हो " ? 
मीरा मैडम ने इसका उत्तर देना आवश्यक नहीं समझा । विमला मैडम की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह और कुछ पूछ सके । बात आई गई हो गई थी ।
एक दिन आरती मैडम को अपनी छुट्टियों के बारे में कुछ जानकारी चाहिए थी इसलिए वह सागर बाबूजी के कक्ष में चली गई । वहां उसने जो कुछ  देखा तो उसके होश उड़ गये । मीरा मैडम अपने हाथ से सागर बाबूजी को खाना खिला रही थी । इस दृश्य को देखकर  आरती मैडम के पैर वहीं ठिठक गये। उधर मीरा मैडम भी आरती मैडम को देखकर एकदम से अचकचा गई । बोली" सागर मेरे हाथ के बने परांठे टेस्ट करना चाहते थे "
आरती मैडम कुछ भी नहीं बोलीं और लपक कर स्टाफ रूम में आ गई। गुप्ता मैडम भी वहां पर आ गईं थीं । इस बात को आरती मैडम ने खूब नमक मिर्च लगाकर परोसा । वैसे भी ऐसी बातें होती ही नमक मिर्च लगाकर परोसने की हैं । इसमें आरती मैम का क्या दोष ?  गुप्ता मैडम खी  खी  करके हंसने लगीं ।" मैडम , गलती आपकी है । आपको दरवाजा खटखटा कर जाना चाहिए था । ऐसे ही धड़ल्ले से नहीं जाना चाहिए था  आपको वहां पर " । गुप्ता मैडम शरारत से बोलीं।" मैं कोई उनके बैडरूम में थोड़े ही गई थी । मैं तो स्कूल के बाबूजी के एक कक्ष में गई थी । मुझे क्या पता था कि आजकल वो कक्ष उनका प्राइवेट रूम बन गया है "?" आपको कुछ पता ही नहीं है मैडम । आजकल तो मीरा मैडम और सागर बाबूजी साथ साथ ही आते हैं स्कूल में । कभी मीरा मैडम की आल्टो में या कभी सागर बाबूजी की मोटरसाइकिल पर । और जाते भी साथ ही हैं " और इतना कहकर वो मुस्कुराने लगीं ।" पर मीरा मैडम तो पूरब में रहतीं हैं और सागर बाबूजी बता रहे थे कि उनका मकान पश्चिम में है । फिर साथ साथ कैसे आते जाते हैं दोनों " ? " ये तो मुझे पता नहीं लेकिन आते जाते साथ साथ ही हैं । वो एक दिन सरला मैडम के बेटे की शादी थी ना । तो उस दिन मेरे पति के किसी दोस्त की बेटी की शादी भी थी । हमको दोनों ही शादियों में जाना था । इसलिए हम इनके दोस्त की शादी में पहले चले गए । सरला मैडम के यहां रात को लगभग दस बजे पहुंचे थे । सरला मैडम ने बताया था कि स्टाफ के सब लोग आये थे और बस अभी अभी गये हैं । हम लोग खाना ले ही रहे थे कि मीरा मैडम और सागर बाबूजी एक साथ एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले आ रहे थे । उस समय करीब साढ़े दस बजे रहे थे । मैं तो भौंचक्की रह गई थी । मुझे देखकर ये दोनों भी सकपका गये थे । झट से हाथ छुड़ाकर नमस्ते करने लगे । मेरे पति ने भी इनके बारे में पूछा तो मैंने बता दिया । वो भी कहने लगे कि ये दोनों हाथों में हाथ डालकर‌ कैसे आ रहे थे ?  दाल में कुछ काला नजर आ रहा है । मैं बोली कि दाल में काला नहीं , ये तो पूरी दाल ही काली है । और वे भी हंसने लगे "" पर ये मीरा मैडम तो सागर बाबूजी से कम से कम सात आठ साल बड़ी हैं " ? " तो क्या हुआ ? प्यार कोई उम्र देखता है क्या ?"" मीरा मैडम के पति तो बैंक में अच्छी खासी नौकरी भी करते हैं और उनके तो आठ दस साल का एक बच्चा भी है । फिर भी ऐसी हरकतें ? । छि: , घिन आती है मुझे तो "
" मिंयां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी "" पर मैडम , अगर मीरा मैडम को कोई परवाह नहीं है तो कम से कम सागर बाबूजी को तो ध्यान रखना चाहिए । उसके भी तो बीवी बच्चे हैं । शर्म नहीं आती है उसको भी ?"" आप और हम तो पुराने जमाने के लोग हैं । आजकल के लोगों को शायद नहीं आती होगी तभी तो इतनी बेशर्मी से सब कुछ कर रहे हैं ये लोग "" पर मैडम , इनके घरवाले कुछ नहीं कहते इनको "?" उनको पता चलेगा तो ही कुछ कहेंगे ना । जब तक कूड़ली में गुड़ फूट रहा है तब तक खूब गुलछर्रे उड़ाने दो । जिस दिन भांडा फूट जायेगा वो दिन कयामत का दिन होगा "
दोनों मैडम यह कहकर अपनी अपनी कक्षाओं में चली गई कि हमें क्या करना है । ये जानें और इनका काम जानें ।
दिन इसी तरह गुजरने लगे । एक दिन मीरा मैडम ने कहा कि उनके पति सौरभ का प्रोमोशन हो गया है । अब वे मैनेजर बन गये हैं । घर में एक छोटी सी पार्टी रखी है । सब स्टाफ को आना है । सबने उसे खूब बधाई दी ।
मीरा मैडम के घर पर आज‌ बहुत चहल पहल थी । दुल्हन की तरह से सजाया गया था घर को । सौरभ के खास रिश्तेदार , दोस्त और मीरा मैडम का स्टाफ सब लोग आये थे पार्टी में । आर्केस्ट्रा पर गाने चल रहे थे । सब मेहमान खाने पीने में मस्त थे ।
अचानक मीरा के भाई ने सौरभ से कहा कि बाहर हिजड़े आये हुए हैं । 51000 रुपये मांग रहे हैं । सौरभ ने अपना पर्स देखा तो उसमें 5000 रुपए ही थे । उसने कहा कि उन्हें 21000 रुपये दे देना । मैं अभी लाकर देता हूं । वह पैसे लेने के लिए अपने बैडरूम में घुसा ही था कि सामने का नज़ारा देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई । मीरा और सागर आलिंगनबद्ध होकर "किस" कर रहे थे । सौरभ के मुंह से चीख निकल गई। चीख की आवाज सुनकर सभी लोग उधर भागे । इधर मीरा और सागर भी झटपट अलग हो गये । ये नजारा देखकर सब लोग सकते में आ गए ।
मीरा के भाई ने आव देखा ना ताव । सागर की ठुकाई करना शुरू कर दिया । घर के बाकी लोगों ने भी अपने हाथ साफ कर लिये । मीरा मैडम ने उसे बचाने का बहुत प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सकीं। सागर की पत्नी ने भी यह सब नजारा देखा तो उसने तुरंत एक कैब बुला ली और अपने बेटे को लेकर वहीं से सीधे अपने मायके चली गईं । सौरभ को तो ऐसा सदमा लगा कि वह वहीं ढेर हो गया । लोग सागर को छोड़कर सौरभ को संभालने लग गये । एम्बुलेंस बुलवाई गयी और सौरभ को अस्पताल ले जाया गया । उसे रास्ते में ही होश आ गया था । अस्पताल में उसका चैक अप हुआ और उसे तुरंत छुट्टी मिल गई ।
घर आते ही उसने सबसे पहले मीरा मैडम को धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया । इस काम में मीरा मैडम के भाई ने भी सौरभ का साथ दिया । सौरभ को पता था कि मीरा मैडम अब विक्टिम कार्ड खेलेगी । इसलिए ऑफिस से एक महीने की छुट्टी लेकर डब्बू को उसकी दादी के पास छोड़कर न जाने कहां गायब हो गया ।
इधर मीरा मैडम चोट खायी हुई नागिन की तरह थाने में रिपोर्ट दर्ज करा आई । पुलिस सौरभ को गिरफ्तार करने उसके घर आई लेकिन सौरभ कहीं नहीं मिला । अब मीरा मैडम जाये तो जाये कहां । सौरभ का घर पूरा बंद था । उसके भाई ने उसी दिन ही कह दिया था कि उसका उससे कोई संबंध नहीं है इसलिए वह मैके भी नहीं जा सकती थी । । अब कहां जाकर रहे वह ?और कोई रास्ता नहीं सूझने पर थक हार कर वह सागर के घर गई । पर ये क्या ? सागर भी वहां नहीं था । उसकी मां ने उसे प्रवचन सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । और सुनाती भी क्यों नहीं ? उसका घर बर्बाद कर दिया था उसने । मीरा मैडम उल्टे पांव वापस आ गई और एक होटल में रहने लगी ।
सागर अपने बीवी बच्चों को लेने ससुराल पहुंचा । उसकी बीवी ने साफ मना कर दिया उसके साथ चलने के लिये । सागर के सास ससुर ने भी जी भरकर उसे कोसा और केस करने के लिए कहा । सागर थक हार कर घर वापस आ गया । सागर की मां ने भी उसे बहुत बुरा भला कहा । अब सागर को अपनी गलती का अहसास होने लगा । पर अब बहुत देर हो चुकी थी । उसका आशियाना तो अब तक उजड़ चुका था ।
मीरा मैडम रोज पुलिस स्टेशन जाती और सौरभ को गिरफ्तार करने को कहती । पुलिस ने सौरभ के घर , आफिस, रिश्तेदार सब जगह दबिश दी लेकिन उसका कोई पता नहीं चला । अब पुलिस वाले मीरा मैडम को ही कसूरवार ठहराने लगे थे। एक दिन जब मीरा मैडम ने थाने में नौटंकी की तो थानेदार ने दो महिला सिपाहियों से कहकर मीरा मैडम को हवालात में बंद कर दिया और उसकी वो धुनाई की जो मीरा मैडम को जिंदगी भर याद रहेगी । उसके बाद उसे यह कहकर छोड़ दिया कि वह दुबारा थाने आने की भूल नहीं करे ।
अब मीरा मैडम को सागर के सिवा कहीं आसरा नहीं था । एक दिन वह स्कूल में आई और सीधे सागर के कमरे में चली गई । सागर उसे देखते ही आग बबूला हो गया और कहा" आप यहां क्या करने आई हो ? मेरा सब कुछ बर्बाद कर के भी चैन नहीं पड़ा आपको "?" मेरा भी तो सब कुछ बर्बाद हो गया है , सागर । मैं भी तो लुट चुकीं हूं । तुम्हारे लिए मैंने अपने पति को छोड़ा , बच्चे को भी छ़ोडा और तुम अब मुझसे ऐसी जली कटी बातें कह रहे हो "" भगवान के लिए मुझ पर रहम खाओ , मैडम। मैं अपने पापों का प्रायश्चित करुंगा । आप भी अपने पापों का प्रायश्चित करो । क्या पता भगवान हमें क्षमा कर दें "" मैं तुम्हें भूल नहीं सकती , सागर । मुझे बीच भंवर में तो मत छोड़ो । मैंने तुम्हारे लिए क्या क्या नहीं सहा । मैं सब कुछ सहन कर सकती हूं पर तुम्हारी बेरुखी सहन नहीं कर सकती , सागर " । कहते कहते मीरा मैडम सागर के चरणों में लेट गई ।
स्कूल में मजमा लग गया था । सब टीचर्स और बच्चे वहां इकट्ठे हो गए थे । सागर ने चारों ओर निगाहें दौड़ाई । इस नजारे को देखकर वह घबरा गया । उसने मीरा मैडम को झटक कर अपने से अलग कर दिया और वहां से चला गया ।
मीरा मैडम रोती हुई स्टाफ रूम में आई और वहीं पर बेहोश हो गई । विमला मैडम ने उस पर ठंडा पानी छिड़का तो उसे होश आया । थोड़ी देर में संयत होकर वह अपनी होटल चली गई। शाम को थाने जाकर उसने सागर के खिलाफ अनुसूचित जाति अधिनियम की धारा 3 और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा दी । पुलिस ने सागर को गिरफ्तार कर लिया ।
धीरे धीरे मीरा मैडम की हालत खराब रहने लगी । अब वह गुमसुम सी रहने लगी थी । एक दिन उसे स्कूल में ही चक्कर आ गये तो स्टाफ ने उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया । कोई बता रहा था कि अब वह पागलों के अस्पताल में भर्ती है । जैसा करोगे वैसा ही फल पाओगे, यह कहावत फलीभूत हो गई । 
हरिशंकर गोयल " हरि "

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9 Comments

sunanda

01-Feb-2023 03:40 PM

bahot khub

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Seema Priyadarshini sahay

20-Jan-2022 09:03 PM

बहुत खूबसूरत

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Hari Shanker Goyal "Hari"

20-Jan-2022 09:36 PM

धन्यवाद जी

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Abhinav ji

18-Jan-2022 11:47 PM

nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

19-Jan-2022 12:14 PM

धन्यवाद जी

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